नई दिल्ली। लॉकडाउन की वजह से आप घर में बैठै-बैठे उकता गए होंगे और सारी वेब सीरीज भी खत्म हो चुकी होंगी, टेंशन मत लीजिए…सरकार ने आपके एंटरटेनमेंट और वक्त गुजारने के लिए ‘रामबाण’ छोड़ दिया है। 80 के दशक का मशहूर टीवी धारावाहिक रामायण का प्रसारण एक बार फिर से दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर कल से शुरू हो रहा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज बताया कि जनता की मांग पर शनिवार 28 मार्च से ‘रामायण’ का प्रसारण फिर से दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि पहला एपिसोड सुबह 9.00 बजे और दूसरा एपिसोड रात 9.00 बजे होगा। यही नहीं, सरकार बी आर चोपड़ा के मशहूर सीरियल ‘महाभारत’ को भी फिर से प्रसारित करने की संभावना तलाश रही है। रामानंद सागर कृत ‘रामायण’ का प्रसारण साल 1987 में पहली बार और बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ का प्रसारण साल 1988 में पहली बार दूरदर्शन पर हुआ था।
दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ को दूरदर्शन पर फिर से प्रसारित किए जाने की मांग लोग कर रहे थे और प्रसार भारती एवं सूचना प्रसारण मंत्री को टैग कर रहे थे। इसके बाद प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने कहा है कि जिन लोगों के पास ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के राइट्स हैं, उनके साथ बातचीत चल रही है। इस बारे में शीघ्र ही सूचना दी जाएगी। इसी बीच उन्होंने यह भी बताया है कि आज शाम यानी 26 मार्च को शाम तक वह दोनों सीरियलों के टेलीकास्ट टाइम और शेड्यूल के बारे में पूरी जानकारी दे देंगे। इसके बाद शुक्रवार सुबह केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने खुद रामायण के प्रसारण की जानकारी सोशल मीडिया पर दी।
जनता की मांग पर कल शनिवार 28 मार्च से ‘रामायण’ का प्रसारण पुनः @DDNational पर शुरू होगा। पहला एपिसोड सुबह 9.00 बजे और दूसरा एपिसोड रात 9.00 बजे होगा ।
80 के दशक के उतरार्ध में ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का ऐसा जलवा था कि इनके प्रसारण के समय सड़कें सुनसान हो जाती थीं। इनके प्रसारण के समय बाहर सड़कों का माहौल ऐसा होता था कि मानो कर्फ्यू लग गया हो। दोनों धारावाहिक भारतीय टीवी जगत के सबसे सफल सीरियल्स माने जाते हैं। 55 देशों में साढ़े छह करोड़ से ज्यादा दर्शकों ने देखा था। इनके पात्रों की लोकप्रियता का आलम यह था कि रामायण में राम और सीता का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया के फोटो लोग घरों में राम-सीता के तौर पर लगाने लगे थे।