कोल इंडिया ने जमीन के बदले अब नियोजन की जगह किश्तों में राशि देने का नया विकल्प पेश किया है. इसे लेकर कंपनी ने नयी योजना का खाका जारी कर दिया है. हालंकि नियोजन देेने की पहलेवाली योजना भी जारी रहेगी. नयी योजना के अनुसार, जमीन के बदले नियोजन की बजाय अब मासिक किश्तों में मुआवजा भुगतान का प्रावधान किया गया है.

इस योजना में अधिग्रहित जमीन के रैयतों या अधिग्रहण से प्रभावित परिवार को एक निश्चित रकम 30 या 20 साल तक देने का प्रावधान है. यह जानकारी कोल इंडिया के कंपनी सचिव एम विश्वनाथन ने 25 अगस्त को संपन्न कोल इंडिया बोर्ड की बैठक के आधार पर कंपनी के जीएम (पीएमडी) को दो सितंबर को जारी पत्र में दी है.

कंपनी सचिव ने बोर्ड की बैठक के हवाले से कहा है कि कंपनी की आरएंडआर पॉलिसी या राज्य सरकार के प्रचलित नियम के अनुसार, खनन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित जमीन के एवज में नियोजन का प्रावधान था. मुनाफे को बरकरार रखने के लिए परियोजनाओं को आउटसोर्स करने से अकुशल लोगों के नियोजन के अवसर में कमी आयी है.

16 मार्च को हुई समीक्षा बैठक में इस समस्या से निबटने के लिए नियोजन के विकल्प के तौर पर एकमुश्त मुआवजा पर विचार किया गया. इससे न सिर्फ मजदूरी पर खर्च में कमी आयेगी, बल्कि कंपनी की समेकित उत्पादन लागत में भी कमी आयेगी.

यूनियनों ने किया विरोध 

सीटू के आरपी सिंह ने कहा है कि कंपनी पहले ही नौकरी बंद करती जा रही है. यह स्वीकार करने योग्य नहीं है. इससे नुकसान होगा. नौकरी मिलने पर कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं. इससे सुविधा नहीं मिलेगी. इसका विरोध भी किया जायेगा.

25 अगस्त को कंपनी बोर्ड की बैठक में तय हुआ मसौदा

यह है नयी वार्षिक योजना : नियोजन के बदले वित्तीय मुआवजा के विकल्प के तहत जमीन मालिक को 150 रुपये प्रति डिसमिल की दर से न्यूनतम 2000 रुपये प्रति महीना और अधिकतम 30 हजार रुपये प्रति महीना 30 साल या परियोजना अवधि तक जो भी अधिक हो, की अवधि तक देय होगा. इसमें प्रति वर्ष एक प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होगी. जो जमीन के रैयत नहीं हैं, पर आय के लिए परियोजना से प्रभावित हैं, उन्हें प्रति माह 2000 रुपये की दर से 20 साल या परियोजना अवधि तक जो अधिक हो, की अवधि तक देय होगा.

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