कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कर्मचारियों के लिए लाई गई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मुखालफत की है।

धनबाद में अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (अभाखमसं) की तीन दिवसीय कार्यसमिति की बैठक के समापन के बाद  महामंत्री सुधीर धूरडे ने कहा कि श्रमिक संगठनों से चर्चा किए बगैर कोल इंडिया प्रबंधन ने वीआरएस की घोषणा की है। हम इसका विरोध करते हैं। सरकार की ओर से लाए जा रहे लेबर कोर्ड को भी खतरनाक बताते हुए श्री धूरडे कहा कि जेबीसीसीआई को सरकार खत्म करना चाहती है। बीएमएस जेबीसीसीआई के माध्यम से ही कोयला वेतन समझौता के पक्ष में है। इसके लिए जरूरत हुई तो आंदोलन करेंगे। मौके पर नरेंद्र सिंह, राजीव रंजन एवं केपी गूप्ता आदि मौजूद थे।

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इधर, समापन सत्र में बीएमएस नेता के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि आने वाले समय में कोयला उद्योग पर संकट मंडरा रहा है। कोल कर्मियों के सामने कोल इंडिया एवं केंद्र सरकार की ओर से 11वां वेतन समझौता का गठन, कॉमर्शियल माइनिंग, श्रम कानूनों में संशोधन जैसे अहम मुद्दे हैं। कोयला मजदूर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पीएसयू के रीढ़ हैं। कोयला उद्योग के मजदूरों के कारण देश का भविष्य उज्ज्वल है। कोल इंडिया हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है। इसे किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने देंगे। चाहे क्यों न आर-पार की लड़ाई लड़नी हो। कोल इंडिया प्रबंधन एवं केंद्र सरकार की मनमानी एवं मजदूर विरोधी नीति को चलने नहीं देंगे।

 

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