धनबाद। अदालत ने बीसीसीएल के मुख्यालय कोयला प्रशासनिक भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है। जमीन अधिग्रहण के एक मामले में रैयत को नौकरी व मुआवजा नहीं देने पर सिविल कोर्ट ने यह आदेश दिया। कोयला भवन पहुंचकर आदेश को नाजिर व नायब नाजिर ने कोर्ट के आदेष को तामिल कराया। इधर, अदालत के आदेश की जानकारी मिलते ही मुख्यालय में मौजूद अधिकारी तनाव में आ गए। आदेष तामिल कराने के वक्त सीएमडी, डीपी समेत अन्य अधिकारी पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में मुख्यालय से बाहर थे। बाद में अधिकारियों ने मामले का निपटारा जल्द करने के प्रति आश्वस्त किया। अदालत ने इसके लिए 17 जनवरी तक का वक्त दिया है।
सेटलमेंट के आश्वासन पर समय
वादी के अधिवक्ता ने बताया कि जितेंद्रनाथ व उनके परिवार के सदस्यों की रैयती जमीन बीसीसीएल ने इकरारनामा के तहत ली थी। इसमें नौकरी और मुआवजा का वादा किया था मगर कंपनी ने न नौकरी दी, न मुआवजा। इस कारण जितेंद्रनाथ व उनके परिवार के लोगों ने धनबाद सिविल कोर्ट में बीसीसीएल के विरुद्ध मुकदमा दायर कर दिया। कोर्ट ने जितेंद्रनाथ व अन्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीसीसीएल को आदेश दिया था कि वह वादी को नौकरी और मुआवजा दे मगर कंपनी ने ऐसा नहीं किया और निचली अदालत के आदेश को अपील दायर कर चुनौती दी। यह अपील भी खारिज हो गई। इसके बाद जितेंद्रनाथ व अन्य ने धनबाद के सिविल जज (वरीय कोटि, द्वितीय) राजश्री अपर्णा कुजूर की अदालत में केस नंबर 67/16 दायर किया। इस पर अदालत ने सिविल कोर्ट के नाजिर को कोयला भवन को कुर्क करने का आदेश दिया था। इस आदेश के क्रम में नाजिर विजय तिवारी व नायब नाजिर अनिल दखलकार को कब्जा दिलाने के लिए कोयला भवन पहुंचे थे मगर कुछ तकनीकी कारणों से दखल नहीं दिलाया जा सका।
आर एंड आर पॉलिसी का नहीं किया पालन
बताया गया है कि यह मामला चांच विक्टोरिया एरिया से जुड़ा है। परियोजना के लिए जितेंद्रनाथ गोस्वामी की तकरीबन 94 एकड़ जमीन बीसीसीएल ने अधिग्रहित की है। कंपनी की आर एंड आर पॉलिसी के तहत प्रति दो एकड़ पर एक व्यक्ति को नौकरी देना था मगर कंपनी ने इसका पालन नहीं किया। प्रभावित पक्ष आर एंड आर पॉलिसी के तहत 45 लोगों के नियोजन की मांग करता रहा है।