नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खान और खनिज (विकास व विनियमन) अधिनियम में संशोधन करते हुए कई कार्यो के लिए हरित मंजूरी लेने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। उदाहरण के तौर पर नदी में बाढ़ आने के बाद खेतों में जमा बालू या सिल्ट को हटाने के लिए अब पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, ‘कुम्हारों को अब बर्तन बनाने के लिए सामान्य मिट्टी की हाथ से खोदाई को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं लेनी होगी। इसी प्रकार ईट निर्माण के लिए हाथ से मिट्टी की खोदाई भी बिना हरित मंजूरी के की जा सकती है।

मंत्रालय के अनुसार, ‘तालाब, डैम, जलाशय, नदी व तालाब से सिल्ट हटाने, ग्रामीण स़़डक निर्माण व मनरेगा के तहत तालाब की खोदाई के लिए अब हरित मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसी प्रकार पेयजल के लिए कुएं की खोदाई अथवा जिलाधिकारी या अन्य सक्षम प्राधिकारी के आदेश पर बाढ़ आदि से निपटने के लिए नहर, नाला, नाली या अन्य जलाशय के निर्माण के लिए पूर्व में हरित मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने जिन कार्यो को गैर खनन गतिविधि के तौर पर घोषित किया हो, उनके लिए भी पर्यावरणीय अनुमति की जरूरत नहीं है।’

 

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