नई दिल्ली। चंद्रयान-2 (Chandrayan-2) ने चांद की कक्षा में एक साल पूरे कर लिए हैं और इस दौरान चांद का 4400 से अधिक बार चक्कर लगाया है। इस मिशन के एक वर्ष पूरे होने पर इसरो (ISRO) ने यह जानकारी दी। इसरो ने कहा कि इसके सभी उपकरण अच्छी तरह काम कर रहे हैं और चंद्रयान-2 में अभी इतना ईंधन है कि यह अगले 07 साल तक चांद का चक्कर लगाता रहेगा और पृथ्वी पर सूचनाएं भेजता रहेगा। चंद्रयान-2 को पिछले साल 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था और यह 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश हुआ था
ISRO के अध्यक्ष के सिवन (K. Sivan) ने चंद्रयान-2 मिशन से जुड़ा प्रारंभिक डेटा सेट जारी करते हुए कहा कि भले ही विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा हो, लेकिन ऑर्बिटर ने चंद्रमा के चारों ओर 4400 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और इस यान के सभी आठ ऑन-बोर्ड उपकरण अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑर्बिटर में अच्छी टेक्नोलॉजी वाले कैमरे लगे हैं, ताकि वह चांद के बाहरी वातावरण और उसकी सतह के बारे में जानकारी जुटाकर हमारे पास भेज सके।
इसरो की उम्मीदें कायम
सिवन ने कहा कि इसरो चंद्रयान-2 मिशन को लेकर खासा उत्साहित है। उसे नासा से कुछ तस्वीरें मिली हैं, जिनसे पता चलता है कि सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान दुर्घटना का शिकार हुआ लैंडर विक्रम अब भी काम कर रहा है। हाल ही में ISRO ने कहा था कि वह चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान (Pragyan rover) के चांद की सतह पर सही सलामत उतरने के दावों की जांच कर रहा है। दरअसल, चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम (Vikram lander) के मलबे को तलाशने वाले चेन्नई के इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम ने दावा किया था कि ऐसा लगता है कि रोवर प्रज्ञान सही सलामत विक्रम से बाहर निकला था और कुछ दूर तक चला भी था। इससे इसरो में नई उम्मीद जगी है।
इसरो का निजीकरण नहीं होगा
इसरो के प्रमुख ने कहा है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में किए जा रहे सुधार भारत के लिए निर्णायक साबित होंगे। उन्होंने कहा, इसरो को लेकर कई तरह के भ्रम हैं, जिन्हें वह साफ कर देना चाहते हैं। इसमें सुधार का अर्थ निजीकरण नहीं है। इसरो का निजीकरण नहीं होने जा रहा है। पिछले दिनों भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने और इनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए इंडियन स्पेस प्रोमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर की स्थापना की गई थी। इस पर सिवन ने कहा कि इन सुधारों से इसरो आने वाले दिनों में उत्पादन के बजाय अनुसंधान, क्षमता विस्तार और प्रौद्योगिकी के प्रयोगों पर ज्यादा ध्यान देगा। इसमें निजी कंपनियां अहम भागीदारी कर रही हैं।