बिहार चुनाव के नतीजे आज आएंगे। सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी। इसके लिए 38 जिलों के 55 काउंटिंग सेंटरों पर 414 काउंटिंग हॉल बनाए गए हैं। कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथ और काउंटिंग सेंटरों की संख्या बढ़ाई है। इसके चलते रुझान और नतीजे आने में हर बार की तुलना में ज्यादा समय लग सकता है।
पहला रुझान सुबह पौने नौ बजे तक आने की संभावना है। वहीं, पहला रिजल्ट शाम 5 बजे तक आ सकता है। नतीजों से तय होगा कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार सत्ता में लौटेंगे या महज 31 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर तेजस्वी रिकॉर्ड बनाएंगे।
तीन फेज में हुए चुनाव में 7.34 करोड़ वोटरों में से 57.05% ने वोटिंग की। 2015 में 56.66% वोटिंग हुई थी। इस बार 3,733 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 3,362 पुरुष, 370 महिला और 1 ट्रांसजेंडर है।
चुनाव प्रचार के 4 बड़े चेहरे
नीतीश कुमारः खुद चुनावी मैदान में तो नहीं थे, लेकिन जदयू का सबसे बड़ा चेहरा नीतीश ही थे। उन्होंने 103 इलाकों में जाकर 113 चुनावी रैलियां कीं।प्रधानमंत्री मोदीः मोदीकाल का ये पहला चुनाव था, जिसमें अमित शाह नदारद रहे। मोदी ही प्रचार का बड़ा चेहरा रहे। उन्होंने प्रचार के दौरान बिहार में 12 रैलियां कीं।तेजस्वी यादवः महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार भी हैं। तेजस्वी ने 21 दिन में 251 चुनावी सभाएं कीं। यानी, हर दिन औसतन 12 रैलियां। 4 रोड शो भी किए।राहुल गांधीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तबीयत खराब होने की वजह से प्रचार से दूर रही हैं। राहुल की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका भी कहीं नहीं दिखाई दीं। कांग्रेस के लिए राहुल ने ही प्रचार का मोर्चा संभाला। उन्होंने कुल 8 रैलियां कीं।
2019 लोकसभा चुनाव में 223 विधानसभा सीटों पर आगे था एनडीए
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था। लोकसभा के नतीजों को अगर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो एनडीए को 223 सीटों पर बढ़त मिली थी। इनमें से 96 सीटों पर भाजपा तो 92 सीटों पर जदयू आगे थी। लोजपा 35 सीटों पर आगे थी।
एक सीट जीतने वाला महागठबंधन विधानसभा के लिहाज से 17 सीटों पर आगे था। इनमें 9 सीट पर राजद, 5 पर कांग्रेस, दो पर हम (सेक्युलर) जो अब एनडीए का हिस्सा है और एक सीट पर रालोसपा को बढ़त मिली थी। अन्य दलों में दो विधानसभा क्षेत्रों में एआईएमआईएम और एक पर सीपीआई एमएल आगे थी।
2015 में साथ लड़े थे राजद और जदयू
2015 के चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस ने साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी। लेकिन, डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए। इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, VIP और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू भी है। वहीं, पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही रालोसपा और लोजपा के साथ है।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार
नीतीश कुमार: 2010 के चुनाव में नीतीश एनडीए की ओर से तो 2015 में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे। इस बार फिर वो एनडीए की ओर से सीएम फेस हैं। पिछले 15 साल से राज्य में नीतीश की पार्टी सत्ता में है। इनमें 14 साल से ज्यादा नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे हैं।
तेजस्वी यादव: महागठबंधन की ओर से इस बार तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। लालू यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद का चेहरा तेजस्वी ही हैं। पूरा चुनाव महागठबंधन ने तेजस्वी के चेहरे पर ही लड़ा है। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव प्रचार के पोस्टर तक से गायब थे।