धनबाद : चासनाला खान दुर्घटना के 43 साल पूरे हो गये. दुर्घटना में मारे गये 375 मजदूरों को गुरुवार को श्रद्धांजलि दी गयी. सेल के ईडी अरविंद कुमार समेत सेल के कई अधिकारी और शहीद के परिजनों ने नम आंखों से श्रधांजलि दी. सभी ने 1 मिनट का मौन रखकर शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और शोक प्रकट किया. मौके पर सेल के इडी ने कहा कि ये खान दुर्घटना बहुत ही दर्दनाक थी. इसे याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कहा कि खदान में काम करने वाले मजदूर पूरी सेफ्टी से काम करें, ताकि ऐसी दुर्घटना कभी दोबारा ना घटे.
कैसे घटी थी घटना
इस्को के चासनाला कोयला खदान की दिल दहला देने वाली घटना आज भी यहां के लोगों की आंखों में जिंदा है. इस दुर्घटना में हर घर से किसी न किसी की मौत हुई थी. उस समय कोलियरी में चारों तरफ सिर्फ सिसकियांं ही सुनाई दे रही थी. 27 दिसंबर 1975 को चासनाला कोलियरी में दिन के 1:30 बज रहे थे, तभी अचानक खदान में विस्फोट हुआ और तेज आवाज के साथ 70 लाख गैलन पानी के सैलाब ने सैकड़ों मजदूरों को अपने आगोश में ले लिया. जिसमें 375 मजदूरों की मौत हो गयी थी. उस समय राहत और बचाव कार्य के लिए कोई संसाधन मौजूद नहीं थे.
कई आश्रितों को आज तक नहीं मिली नौकरी
चासनाला खान दुर्घटना ने देश को झकझोंर दिया था. घटना के बाद आश्रितों को नियोजन देने की घोषणा की गयी थी. कई लोगों को नियोजन ओर मुआवजा मिला. लेकिन इस घटना में ऐसे कई श्रमिक थे जिनके आश्रित नाबालिग थे. घटना के 43 साल बीत जाने के बाद भी कइयों को अभी तक नियोजन और मुआवजा नहीं मिला सका. शहीद स्मारक स्थल पर आए शहीद नन्द किशोर की पत्नी आशा देवी का कहना है कि कई वर्षों से नियोजन और मुआवजा के लिए सेल का चक्कर लगा कर थक गई हैं. 43 वर्ष बीत जाने के बाद भी ना ही नियोजन मिला और ना ही मुआवजा.