कोरबा (IP News). छत्तीसगढ़ में चिकित्सा लॉबी की जड़ें बेहद मजबूत हैं। भाजपा के 15 वर्षों के राज में इन जड़ों को जमकर खाद – पानी (संरक्षण) मिला। लिहाजा अब ये कांग्रेस के शासन में भी फल-फूल रही हैं। नर्सिंग एक्ट और इसमें निहित नियम कायदे कागजों तक ही सीमित हैं। इधर, कोरोना वायरस के कहर के बीच कुछेक निजी अस्पतालों ने इसके संक्रमित लोगों के इलाज के लिए पैकेज जारी किए हैं। पैकेज की दरें यह बताती हैं कि आपदा को अवसर में बदलकर लाभ कैसे कमाया जाता है।

राजधानी रायपुर के कमल विहार क्षेत्र में संचालित वी वाय अस्पताल ने कोरोना मरीजों के आइसोलेशन केअर के लिए पैकेज जारी किया है। इसका जमकर प्रसार- प्रचार भी किया जा रहा है। पैकेज की दरें सुनकर आम मरीज का हार्टफेल हो जाए। आइसोलेशन केअर के रेट प्रतिदिन 3900 से लेकर एक लाख रुपए तक का है। अन्य डिमांड सर्विसेज के चार्जेज अलग हैं। आइसोलेशन केअर का पैकेज पूरे दस दिनों का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के निजी हस्पतालों को लूट- खसूट की कितनी छूट मिली हुई है।

क्या कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के इलाज और आइसोलेशन के लिए निजी अस्पतालों के लिए दरें निर्धारित नहीं होनी चाहिए? कोरोना संकट ने आर्थिक रूप से आम क्या खास लोगों की भी कमर तोड़ रखी है। ऐसे में इतने महंगे इलाज की छूट क्या मिलनी चाहिए?

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