रांची. कमर्शियल माइनिंग को लेकर भाजपा केन्द्र सरकार के बचाव में उतर आई है। खासकर झारखंड में इस मुद्दे को लेकर सियासत गरम हो रही है। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। यहां बताना होगा सोरेन सरकार कमर्शियल माइनिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

इधर, रविवार को झारखंड के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश और रांची के सांसद संजय सेठ ने बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता आयोजित की। इन नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कमर्शियल माइनिंग का निर्णय आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए लिया है।

उन्होंने कहा कि 958 मिलियन टन कोयले की खपत होती है भारत में और 711 मिलियन टन का उत्पादन होता है। 247 मिलियन टन आयात विदेशों से करना पड़ता है। इसके लिए भारत को काफी विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है।

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड में अवैध माइनिंग होती है। कमर्शियल माइनिंग से झारखण्ड में रोजगार के अवसर सृजन होंगे और कोरोना काल में जो लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर झारखंड आए हैं, उन्हें इससे रोजगार मिलेगा और अवैध माइनिंग पर रोक लगेगी।

कोल इंडिया के पास 463 खदानें हैं। यहां थर्मल प्लांट के लिए 100 साल तक के लिए कोयला उपलब्ध है। राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा है जिसमें थैंक्स लिखा है, इसका अर्थ है धन्यवाद। हमारे प्रदेश के मुख्य सचिव को कोई आपत्ति नहीं है। राज्य की सरकार ने जो सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया है, उसमें समय को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी गई है।

वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार स्थानीय मीडिया में कमर्शियल माइनिंग को लेकर हाय तौबा मचाए हुए है। राज्य सरकार के इसी दोहरे चरित्र को उजागर करने का बीजेपी प्रयास कर रही है।

रांची सांसद संजय सेठ ने कहा कि कोयला खदानों की नीलामी राष्ट्रहित और राज्यहित में है। घोटालों का कीर्तिमान स्थापित करने वाली कांग्रेस इस पर हल्ला मचा रही है। अब पहले वाली सरकार नहीं है। राष्ट्रहित वाली सरकार है और ये सरकार राज्यों को उनका हक देने वाली सरकार है।

इससे प्रतिवर्ष 15 हजार करोड़ रुपए राज्य सरकार को मिलेंगे। 5 राज्यों के 41 खदानों की नीलामी भी की जाएगी। राज्य सरकार भी चाहती है लेकिन इसे एक पॉलिटिकल मुद्दा बनाना चाहती है। कमर्शियल माइनिंग राज्य हित और देश हित में है।

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