रेल, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के कार्यों की प्रगति की समीक्षा की, जिसमें डीएफसीसीआईएल के एमडी समेत रेलवे बोर्ड तथा डीएफसीसीआईएल के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान, वरिष्ठ अधिकारियों ने परियोजना की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि डीएफसी में पूंजीगत व्यय के उपयोग में पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कोविड 19 लॉकडाउन के कारण परियोजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के बावजूद, वित्त वर्ष 2020 -2021 के पहले 10 महीनों में, पिछले वर्ष की समान अवधि के 6783 करोड़ रुपये की तुलना में 8201 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय दर्ज किया गया है।
श्री गोयल ने डीएफसीसीआईएल की प्रबंधन टीम और ठेकेदारों को पश्चिमी डीएफसी (1504 किमी) और पूर्वी डीएफसी (1856 किमी) के सभी खंडों में कार्यों की गति बढ़ाने के लिए सभी संभव कदम उठाने का निर्देश दिया। समीक्षा बैठक में, प्रत्येक खंड की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की गई और सभी बाधाओं का समाधान निकालते हुए तेज प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
बैठक के दौरान, यह निर्णय लिया गया कि सभी ठेकेदारों के काम की कड़ी निगरानी की जाएगी। सभी मुद्दों के समाधान के लिए मिशन मोड में राज्यों के साथ समन्वय किये जायेंगे।
भारतीय रेल, तेज गति से माल गाड़ियों के आवागमन के लिए समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2020-21 में 657 किमी रेल-खंड की शुरुआत हो चुकी है और इस पर 1000 से अधिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं।
पहले चरण में, डीएफसीसीआईएल पश्चिमी डीएफसी (1504 किमी) और पूर्वी डीएफसी (1856 किमी) का निर्माण कर रहा है, जिसमें सोननगर-दानकुनी खंड का पीपीपी सेक्शन भी शामिल है।
लुधियाना (पंजाब) के पास स्थित साहनेवाल से शुरू होने वाला ईडीएफसी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों से होकर गुजरेगा और पश्चिम बंगाल के दानकुनी में समाप्त होगा। उत्तर प्रदेश में दादरी को मुंबई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (जेएनपीटी) से जोड़ने वाला पश्चिमी कॉरिडोर, डब्लूडीएफसी के तहत यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों तथा ईडीएफसी (सोननगर – दानकुनी पीपीपी सेक्शन को छोड़कर) से होकर गुजरेगा। जून, 2022 तक 2800 किमी का रेल मार्ग चालू हो जाएगा।
समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को भारत के आर्थिक विकास में एक गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।