तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों- इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी, गेल और श्री बद्रीनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत बद्रीनाथ धाम को आध्यात्मिक स्मॉर्ट नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर, उततराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश और पेट्रोलियम मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार तथा तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
समझौते के अनुसर तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम विभिन्न विकास गतिविधियों के पहले चरण में 99 करोड़ 60 लाख रुपए का योगदान करेंगे। इनमें नदी तटबंध का विकास कार्य, हर मौसम के अनुकूल रास्तों का निर्माण, पुलों का निर्माण, मौजूदा पुलों का सौंदर्यीकरण, आवासीय सुविधा के साथ गुरूकुल की स्थापना, शौचालयों का निर्माण, पेयजल सुविधा उपलब्ध कराना, स्ट्रीटलाइट और भित्ती चित्रकारी शामिल है।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से चारों धाम लाखों लोगों के दिलों से जुडे हैं। तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम न सिर्फ बद्रीनाथ के विकास कार्य में योगदान करेंगे बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री और गंगोत्री के विकास कार्य का भी हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि आज का यह समारोह मिनी स्मार्ट र्और आध्यात्मिक नगरी के रूप में बद्रीनाथ धाम के विकास के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस निर्माण कार्य में बद्रीनाथ क्षेत्र के धार्मिक और पौराणिक महत्व से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस आदर्श पहल का समर्थन करने पर श्री प्रधान और तेल तथा गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का आभार व्यक्त किया। श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और तेल तथा गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के ठोस प्रयासों से श्री बद्रीनाथ धाम का नवीकरण कार्य तीन वर्ष के अन्दर सम्पन्न हो जायेगा।
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