गुड़गांव। पुलिस लाइन बनाने के लिए हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन ने गांव मानेसर में करीब 30.5 एकड़ अरावली को उजाड़ दिया। वन विभाग की अनुमति के बिना यहां 15 हजार पेड़ों को काट दिया गया है। यह खुलासा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर वन विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। वन विभाग ने रिपोर्ट एनजीटी में सौंप दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस विभाग ने गांव मानेसर ग्राम पंचायत से 61.38 एकड़ जमीन खरीदा था। 8 मार्च, 2010 को रूरल डिवेलपमेंट एंड पंचायत डिपार्टमेंट की तरफ से आदेश जारी किए गए। इस जमीन में 70 प्रतिशत जमीन अरावली की है। पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट के सेक्शन 4 और 5 के तहत इस जमीन पर किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया जा सका है। यह नोटिफिकेशन 7 मई, 1992 को जारी हुआ था।

मानेसर निवासी रामअवतार यादव की याचिका पर एनजीटी ने मिनिस्टरी ऑफ इनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट से रिपोर्ट तलब की थी। डीआईजी भूटिया के नेतृत्व में एक टीम ने निरीक्षण किया था, जिसमें चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट वैशवी त्यागी और डीएफओ सुभाष यादव मौजूद थे। जांच के मुताबिक 28.49 एकड़ में बंजर कदीम, 1.14 एकड़ में अरावली प्लांटेशन, 0.84 एकड़ में गैरमुमकिन पहाड़ का नामोनिशाान मिटा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने इस जमीन पर आर्मोरी कोट, एनजीओ मेस, एनजीओ और ओआरएस बैरेक, ओआरएस मेस, कॉमन टॉइलट, एडमिन ब्लॉक, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, एमटीओ, मकान बना दिए हैं।
वॉटर बॉडी का मिटा दिया अस्तित्व
इस जमीन पर एक वॉटर बॉडी थी, जिसका अस्तित्व मिट गया है। इस एरिया में जब्त वाहनों को खड़ा किया जाता है। बताया जाता है कि वॉटर बॉडी होने से वाइल्ड लाइफ और पशु पक्षियों का आना-जाना लगा रहता था, लेकिन अब चारदीवारी होने से और वाइल्ड लाइफ काफी प्रभावित हुआ है।
इस पर वन मंडल अधिकारी सुभाष यादव ने कहा कि पुलिस लाइन के लिए हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन ने वन विभाग से किसी तरह की परमिशन नहीं ली। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट से सीएलयू भी नहीं लिया है। हजारों की संख्या में पेड़ों को बिना अनुमति काटा गया है। जांच रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को भेज दी है। अब एनजीटी के दिशा-निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं याचिकाकर्ता रामअवतार यादव ने कहा कि आश्चर्य होता है कि सरकारी एजेंसियां हरियाली को उजाड़ रही हैं। इससे वाइल्ड लाइफ काफी प्रभावित हुआ है। हजारों की संख्या में पेड़ों को काटा गया है। मेरा सवाल है कि जब पेड़ों को काटा जा रहा था तो वन विभाग के अधिकारी कहां थे/ पहले वन विभाग में शिकायत की थी, जब कार्रवाई नहीं हुई तो एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। अभी भी निर्माण कार्य चल रहे हैं।

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