नई दिल्ली (IP News). पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज पहले 50 एलएनजी ईंधन स्टेशनों की आधारशिला रखी जोकि स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर होंगे। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के दृष्टिकोण को साकार करने में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पहल का एक हिस्सा है। सरकार ने अनेक लाभों जैसे कि वाहनों के प्रदूषण को कम करने, देश के आयात बिल के संदर्भ में बचत और व्यापक लाभ जोकि गैस क्षेत्र में फ्लीट ऑपरेटरों, वाहन निर्माताओं और अन्य संस्थाओं को मिल सकता है को ध्यान में रखते हुए एलएनजी को परिवहन ईंधन के रूप में एक प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना है।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा कि देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए एक सुविचारित रणनीति लागू की जा रही है। इस संबंध में, पाइपलाइनों के बिछाने, टर्मिनलों की स्थापना, गैस उत्पादन को बढ़ाने, सरल और उचित कर ढांचे की शुरूआत के संदर्भ में, गैस के बुनियादी ढांचे की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि एलएनजी परिवहन के लिए भविष्य का ईंधन होने जा रहा है, और इस संबंध में, वाहनों के रेट्रो-फिटिंग के साथ-साथ मूल उपकरण निर्माताओं द्वारा विकास किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एलएनजी न केवल डीजल की तुलना में लगभग 40% सस्ती है, बल्कि इससे प्रदूषण भी बहुत कम होता है। उन्होंने कहा कि सरकार स्वर्णिम चतुर्भुज पर 200-300 किलोमीटर की दूरी पर एलएनजी स्टेशन स्थापित करेगी अगले तीन सालों में सभी प्रमुख सड़कों, औद्योगिक केंद्रों और खनन क्षेत्रों पर 1000 एलएनजी स्टेशन होंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 10% ट्रक एलएनजी को ईंधन के रूप में अपनाएंगे।
श्री प्रधान ने कहा कि सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सीओपी-21 में की गई प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 8 करोड़ गरीब परिवारों को पीएमयूवाई के तहत एलपीजी कनेक्शन प्रदान किएऔर महामारी के दौरान, पीएमयूवाई लाभार्थियों की सहायता के लिए 14 करोड़ मुफ्त सिलेंडर वितरित किए। मंत्री ने कहा कि स्वच्छ और किफायती ईंधन लोगों के हित का साधन बन गया है। उन्होंने कहा कि सरकार सीएनजी वाहनों, इलेक्ट्रिक वाहनों, ऑटो-एलपीजी को बढ़ावा देना जारी रखेगी लेकिन उसी के साथ एलएनजी को लंबे समय तक इस्तेमाल किये जाने वाले ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा। 20-25 एमएमएससीएमडी समकक्ष एलएनजी देश में आएंगे, और सस्ता एलएनजी वैश्विक बाजार में उपलब्ध होने की संभावना है।उन्होंने कहा कि एलएनजी की खपत बढ़ने से कच्चे तेल पर देश की निर्भरता कम होगी।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री तरुण कपूर ने कहा कि सरकार एलएनजी को बढ़ावा देने के लिए एक दीर्घकालिक योजना बना रही है। ईंधन का पहला परीक्षण 2015 में शुरू किया गया था, और यह अब वाणिज्यिक पैमाने पर उतरने के लिए तैयार है।उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एलएनजी का उपयोग बढ़ेगा और लंबी दूरी के ट्रकों और बसों के लिए अपनाया जाएगा।
ये पचास एलएनजी स्टेशन देश के तेल और गैस की बड़ी कंपनियों जैसे आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, गेल, पीएलएल, गुजरात गैस और उनकी संयुक्त उद्यम कंपनियों और सहायक कंपनियों द्वारा तैयार और शुरू किए जाएंगे। इन 50 एलएनजी स्टेशनों में से, आईओसीएल 20 एलएनजी स्टेशन तैयार करेगा, जबकि बीपीसीएल और एचपीसीएल प्रत्येक 11 एलएनजी स्टेशन तैयार करेंगे।इन 50 एलएनजी स्टेशनों को देश के स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर तैयारकिया जा रहा है, जहां एलएनजी को भारी वाहनों और बसों के लिए उपलब्ध कराया जायेगा।
प्राकृतिक गैस, पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छ जीवाश्म ईंधन होने के नाते, पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ ही बढ़ती ऊर्जा की जरूरतों का स्थायी समाधान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखती है I तदनुसार, भारत सरकार ने 2030 तक प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्त्तमान में 6.3% से 15% तक बढ़ाने के लिएदेश भर में ईंधन / फीडस्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
ट्रकों में एलएनजी का उपयोग एसओएक्स उत्सर्जन को 100% और एनओएक्स उत्सर्जन को 85% तक कम कर सकता है और इस प्रकार बड़े पैमाने पर लाभान्वित कर सकता है। इसके अलावा, बढ़ते राजमार्गो के विकास, जो देश भर में जारी है, के साथ भारी वाहनों के खंड में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है। एलएनजी आधारित ट्रक ऑपरेटर प्रति ट्रक लगभग 2 लाख रुपये प्रति वर्ष की बचत कर पाएंगे जिसके परिणाम स्वरूप एलएनजी ट्रकों की उच्च लागत लगभग 3 – 4 वर्षों में वापस हो जाएगी। 2035 तक भारी वाहन ईंधन खंड के रूप में एलएनजी की 20-25 एमएमएससीएमडी मांग होगी और यह भारत के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस के 15% हिस्से की हमारी परिकल्पना के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।