नई दिल्ली: पूरी देश में फैले कोरोना वायरस को दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन तबलीगी जमात के मरकज़ से जोड़ कर कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा फेक न्यूज़ चलाने को लेकर दायर की गई जमीयत उलेमा हिंद की याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।

फेक न्यूज और तबलीगी जमात मुद्दे की आड़ में मीडिया द्वारा धार्मिक उन्माद फैलाने के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई के बजाय प्रेस काउंसिल को भी इस गंभीर विषय में पक्षकार बनाने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी गई। ये जानकारी जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दी।

फेक न्यूज और धार्मिक उन्माद पैदा करने वाले गंभीर विषय पर जमीयत उलेमा हिंद द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायाधीश की खंड पीठ ने इस गंभीर विषय पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर प्रेस काउंसिल को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए।

मौलाना अरशद मदनी ने माननीय कोर्ट के इस फैसले पर कहा कि फेक न्यूज और किसी घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाना आज एक गंभीर और चिंताजनक विषय बन चुका है। मौलाना मदनी ने कहा कि पहले मीडिया सूचना मुहैया कराने का केंद्र हुआ करती थी लेकिन वर्तमान में कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा फेक खबरों का कुचक्र चलाया जाता है जो अत्यंत निराशाजनक है और माननीय कोर्ट ने आज स्थिति को महसूस करते हुए जिस तरह से इस मुद्दे पर ना केवल ऐसे मीडिया संस्थान बल्कि प्रेस काउंसिल को पक्षकार बनाने की बात कही वो कहीं ना कहीं इस मुद्दे पर कोर्ट कि गंभीरता को दर्शाता है।

मौलाना मदनी ने कहा कि फेक न्यूज आज देश की सबसे गंभीर समस्या हैै, ये हमारी मानवीय सोच को दूषित कर रही है। अगर सरकार वक़्त रहते भाईचारे की गंगा जमुनी तहजीब मेे फेक न्यूज की गन्दगी नहीं रोक पाई तो हमारी आने वाली नस्लें इस पवित्र संगम को दूषित ही देखेगी।

 

source : worldhindi

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