स्वतंत्र टेलीकॉम विशेषज्ञ महेश उप्पल ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ज्यादा अंतर आएगा। हां, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पैकेज एक अहम कदम है और इससे ज्यादा कर्मचारी होने की शुरुआती चुनौतियों से निपटा जा सकता है। लेकिन बीएसएनएल की सेहत को लेकर संदेह इससे दूर नहीं होने जा रहा है। बीएसएनएल में इससे सुधार नहीं होगा क्योंकि इससे समस्या को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ है। बीएसएनएल की तकनीक, प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रबंधन का मसला बना हुआ है।’
4 नवंबर 2019 को लागू बीएसएनएल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना 2019 के मुताबिक बीएसएनएल के सभी नियमित और स्थाई कर्मचारियों, जिसमें अन्य संस्थानों में या बीएसएनएल के बाहर डेपुटेशन पर काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं, और उनकी उम्र 50 साल या उससे ऊपर हो चुकी है, वे इस योजना के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का विकल्प चुन सकते हैं।
इसमें पात्र पाए जाने वाले कर्मचारियों को देय राशि में पूरे किए हुए हर साल के 35 दिन के बराबर वेजन और शेष बचे साल के 25 दिन के बराबर वेतन शामिल है। केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर 2019 को बीएलएनएल और महानगर टेलीफोन नगर लिमिटेड (एमटीएनएल) के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें घाटे में चल रही दोनों कंपनियों का विलय, उनकी संपत्ति बेचकर धन जुटाना और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प देना शामिल है, जिससे संयुक्त इकाई 2 साल में लाभ में आ सके।
बीएसएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पीके पुरवार ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 2 साल के भीतर बीएलएनएल एबिटा (अर्निंग बिफोर इंट्रेस्ट टैक्सेसन डेप्रिसिएशन ऐंड अमोर्टाइजेशन) पॉजिटिव होगी और 5 साल बाद कंपनी पीएटी (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) पॉजिटिव होगी।
कंपनी के 12 करोड़ ग्राहक हैं। कंपनी ने कुछ बैंक कर्ज के अग्रिम भुगतान के लिए बॉन्ड जारी कर धन जुटाने की योजना बनाई है। इश्यू बीएसएनएल द्वारा लाया जाएगा और इसे वित्त मंत्रालय से सॉवरिन गारंटी की जरूरत होगी। कंपनी इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 4जी सेवा शुरू कर सकती है, जिसके लिए 12,000 करोड़ रुपये जुटाने होंगे और इसमें आंशिक रूप से बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाया जाएगा।