रायपुर (IP News). प्रदेश में आकस्मिक ब्लेक आउट होने की स्थिति में ताप विद्युत गृहों को पुर्नसंचालित करने हेतु जल विद्युत गृह से स्टार्ट अप पाॅवर सप्लाई करने संबंधी एक माॅक ड्रिल (पूर्वाभ्यास) छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर ट्रांसमिशन कंपनी के लोड डिस्पेच सेंटर में सफलतापूर्वक किया गया। माॅक ड्रिल के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का अभ्यास किया गया कि आपात स्थिति में पॉवर प्लांट के ब्लैक आऊट होने पर कोरबा पूर्व के बिजली संयंत्रों को शुरू करने हेतु 14 मिनट में जल विद्युत संयंत्रों से बिजली पहुंचाई जा सकेगी।
अचानक ब्लैक आऊट होने की स्थिति में पावर प्लांटों को फिर से रिचार्ज करना कठिन होता है, इसके लिए तुरंत बिजली की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी तत्काल आपूर्ति जल विद्युत संयंत्रों से ही हो सकती है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार के मार्गदर्शन एवं उपस्थिति में यह मॉकड्रील पूरा हुआ। उन्होंने इस मॉकड्रील की सफलता के लिए इंजीनियरों की टीम को बधाई दी।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के डगनिया स्थिति लोड डिस्पैच सेंटर में संपादित इस ‘‘ब्लेक स्टार्ट-ग्रिड रिस्टोरेशन” मॉकड्रिल (पूर्वाभ्यास) कीे मानीटरिंग मुंबई स्थित वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर के एक्सपर्ट इंजीनियर भी कर रहे थे। इंडियन इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कोड और स्टेट ग्रिड कोड के निर्देशानुसार साल में दो बार इस तरह का मॉकड्रिल करना होता है। अंतर्राज्जीय बिजली ग्रिड ठप्प होने की स्थिति में ठप्प बिजली व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करने हेतु यह मॉकड्रील छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन, जनरेशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के इंजीनियरों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया।
पूर्वाभ्यास के दौरान विकट विद्युत संकट में कोरबा के थर्मल पावर प्लांट (तापीय विद्युत संयंत्र) को बांगों स्थिति जल विद्युत संयंत्र से स्टार्ट-अप पॉवर कोरबा पूर्व के 132 केवी उपकेंद्र को 14 मिनट में भेजने में सफलता प्राप्त की गई। इस दौरान डगनिया स्थिति लोड डिस्पैच सेंटर में ईडी (कार्यपालक निदेशक) केएस मनोठिया, मुख्य अभियंता पीसी पारधी, श्रीमती शारदा सोनवानी, एसई (एलडी) वाईके राव, एके खन्ना, ईई संजय चैधरी, एई प्रेम जायसवाल, जीपी सिंह, रेशमा सतपाल, सुदेशना पॉल, बांगो जल विद्युत गृह से एसई जीपी सोनी, कोरबा पूर्व में श्रीमती निवेदिता जायसवाल एवं एसई पी संजीव ने मॉकड्रील का नेतृत्व किया। जनरेशन कंपनी के कार्यपालक निदेशक (ईडी) रवींद्र पाठक, एसीई जेके वैद्य, एसई आर अरविंद, मनोज रॉय एवं वरिष्ठ अधिकारी की सक्रिय भूमिका रही। कोरबा वेस्ट के एसीई पंकज कोले ने मॉकड्रील को सफल बनाने में योगदान दिया।
ऐसे पूर्ण हुई माॅक ड्रिल की प्रक्रिया
मॉकड्रिल के दौरान सर्वप्रथम बांगो जल विद्युत परियोजना की 132 के.व्ही. उपकेन्द्र से छुरीखुर्द, जमनीपाली एवं कोरबा उपकेन्द्र तक एक आईलैन्ड सबसिस्टम बनाया गया। इसके माध्यम से बांगो बिजली संयंत्र में ब्लैक आउट की स्थिति निर्मित की गई। इस तरह एक बनावटी बिजली संकट जमनीपाली एवं कोरबा क्षेत्र में निर्मित किया गया। इसके पश्चात् इंजीनियरों की टीम ने युद्धस्तर पर बिजली संकट क्षेत्र में बिजली बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ किया।
इसके लिए बांगो में उपलब्ध डीजल जनरेटर सेट से बंद जल विद्युत इकाई क्रमांक तीन को सर्विस में लेकर 132 के.व्ही. उपकेन्द्र के बस को चार्ज किया गया और वहां उत्पादित बिजली को 132 के.व्ही. लाईन छुरीखुर्द तथा जमनीपाली के माध्यम से कोरबा पूर्व के उपकेन्द्र तक पहुंचाई गई और पूर्व-निर्धारित 33ध्11 केवी विद्युत फीडर को एक के बाद एक चालू कर बांगो की जल विद्युत इकाई से करीब 24 मेगावाट लोड लिया गया। इस तरह ब्लैक आउट की स्थिति में लगभग 14 मिनट में बांगो जल विद्युत गृह से कोरबा पूर्व ताप विद्युत गृह को स्टार्ट अप पॉवर पहुंचाई गई।
विदित हो कि देश के पश्चिम क्षेत्रीय ग्रिड से छत्तीसगढ़ सहित गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र इत्यादि राज्य जुड़े हुये हैं। कई राज्यों से जुड़े विशाल ग्रिड के संचालन में कभी गड़बड़ी आने की स्थिति में बिजली संयंत्रों को फिर से चालू करने में अनेक कठिन चुनौतियां होती हैं। इन्हीं परिस्थितियों में त्वरित बिजली सेवा बहाली के लिए प्रदेश में स्थापित ताप विद्युत संयंत्रों को स्टार्टअप पॉवर उपलब्ध कराने के लिए मॉकड्रील किया जाता है। ब्लेक आउट की स्थिति में बंद विद्युत उत्पादन संयंत्र के पुनर्संचालन हेतु हायडल (जल विद्युत) या गैस पर आधारित संयंत्रों (जिनको चालू करने में कम समय लगता है) का उपयोग किया जाता है। छत्तीसगढ़ में बांगो जल विद्युत संयंत्र को ही एकमात्र जल संयंत्र ब्लैक स्टार्ट हेतु उपलब्ध है।