रायपुर (आईपी न्यूज)। कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान पवित्र माह रमजान का अलविदा जुमा एवं ईद – उल – फितर की नमाज के संबंध में शहर के समस्त मस्जिदों के इमाम और मुतवल्लियों के साथ छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने रेडक्रॉस भवन, कलेक्ट्रेट चैक रायपुर में बैठक आयोजित की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी मुसलमान अलविदा जुमा और ईद – उल – फितर की नमाज में भी लॉकडाउन के नियमों का पूर्णतः पालन करें। बुधवार को शब- ए- कद्र पर भी घरों तिलावत की गई।

बैठक में ईद – उल – फितर की नमाज के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई

बैठक में उपस्थित सभी इमाम, मुतवल्लियों से अलविदा जुमा की नमाज, शबे कद्र व ईद – उल – फितर की नमाज के संबंध में चर्चा की गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी घोषित की गई है। इस बीमारी ने पूरे देश-दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए केन्द्र और राज्य शासन द्वारा विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान शबे कद्र एवं अलविदा जुमा की नमाज आम मुसलमान अपने-अपने घरों में अदा करें। मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि स्थानों में भीड़ जमा न करें। लॉकडाउन के नियमों का पूर्णतः पालन सुनिश्चित करें। इस संबंध में शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देशों के परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा जो पूर्व में एडवाईजरी जारी की गई है, वे यथावत रहेंगी।

बैठक में बताया गया कि पूर्व में रमजान के चांद की तस्दीक के लिए राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा राज्य स्तरीय कमेटी बनाकर व्यवस्था की गई थी। उसी प्रकार की व्यवस्था ईद के चांद के तस्दीक के लिए भी की जाएगी। बैठक में विशेष रूप से शहर काजी मौलाना मोहम्मद अली फारूकी, शहर की विभिन्न मस्जिदों के ईमाम, मुतवल्ली, वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. एस.ए. फारूकी, अधिवक्ता शाहिद सिद्दकी, मोहम्मद ताहिर, अशरफ हुसैन, शमी इमाम, मोहम्मद तारिक अशरफी, जावेद अख्तर, इकबाल अहमद, अब्दुल रहीम, आरिफ रहमान भी उपस्थित थे।

ईद की नमाज कैसे करें अदा, मुफ्ती ने बताया क्या करें

इस दौरान मुफ्ती हजरात ने शरीअत की रौशनी में बताया कि लॉकडाउन के दौरान ईद की नमाज में घर नहीं पढ़ सकते है। लॉकडाउन और धारा-144 लागू है। ऐसी सूरत में ईद की नमाज हम लोगों पर वाजिब नहीं है। ईद की नमाज की कजा भी नहीं है। मुफ्ती हजरात ने बताया कि जुमा की नमाज के बदले नमाजे जोहर तो उसका बदल है। परंतु ईद की नमाज पर कोई बदल नहीं है। ईद की नमाज न पढ़ सके तो बेहतर यह है कि वह चाश्त की नमाज सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद से लेकर जवाल के पहले तक अदा कर सकता है। दो रकाअत चाश्त की नमाज का तरीका नफिल नमाज के जैसा है। चाश्त नमाज कम से कम दो रकाअत और ज्यादा से ज्यादा 12 रकाअत है।

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