विशाखापट्टनम। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर्स इंडिया के रसायन संयंत्र से घातक गैस रिसाव के कारण कई लोगों की मौत होने से कंपनी के इस संयंत्र के विवादों में आना कोई अचरज की बात नहीं है। इस संयंत्र की स्थापना कोरिया की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के भारत में आने के कुछ ही सप्ताह पहले दिसंबर 1996 में की गई थी। पॉलिमर का उत्पादन करने वाला यह संयंत्र करीब 23 अरब डॉलर के एलजी केमिकल से संबद्ध होने के समय ही कानूनी विवादों में रहा है।
मूल रूप से हिंदुस्तान पॉलिमर के रूप में इस संयंत्र की स्थापना 1961 में की गई थी। यह विनिर्माण इकाई 1978 में शराब बनाने वाली यूबी समूह की कंपनी मैकडॉवेल्स ऐंड कंपनी को हस्तांतरित कर दी गई और इससे उसकी एक नई पहचान मिली। दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी ग्रुप ने 1990 के दशक में भारत के कंज्यूमर ड््यूरेबल्स बाजार में कदम रखा था। उसी दौरान एलजी ने मैकडॉवेल्स के साथ एक 100 करोड़ रुपये के शेयर हस्तांतरण सौदे के तहत इस संयंत्र का अधिग्रहण किया था।

इस पॉलिमर कारोबार का अधिग्रहण एलजी की कारोबारी योजना का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। भारतीय बाजार में कदम रखने के कुछ ही वर्षों के भीतर प्रमुख उपभोक्ता अप्लायंस ब्रांड के तौर पर खुद को स्थापित करने वाला एलजी समूह की नजर लागत घटाने और प्रौद्योगिकी को संरक्षित करने पर लगातार रही। उस समय कुशल कामगारों की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण एलजी जैसी नई कंपनियों को सभी प्रमुख पुर्जों का उत्पादन खुद करना पड़ा था।

एलजी के ऐसे ही एक संयंत्र से 1990 के दशक में अपने करियर की शुरुआत करने वाले उद्योग के एक वरिष्ठड्ढ अधिकारी ने कहा, श्एलजी कंप्रेशर जैसे बड़े उपकरण को कोरिया से आयात करने का निर्णय लिया जबकि बॉडी पार्ट जैसे सस्ते उपकरणों का आयात करना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं था। हालांकि उस समय भारत में कोई प्रमुख विनिर्माता भी नहीं था जो इन उपकरणों के उत्पादन के लिए तकनीकी तौर पर संपन्न हो। इस प्रकार इन संयंत्रों का अधिग्रहण तकनीकी तौर पर बेहतर एलजी एवं सैमसंग जैसी नई कंपनियों के द्वारा किया गया।

हालांकि अधिग्रहण के तत्काल बाद विवाद उस समय शुरू हो गया जब एलजी ग्रुप ने विशाखापट्टनम इकाई के परिचालन के लिए एक नई सहायक इकाई- एलजी पॉलिमर्स इंडिया- का गठन किया। पिछले मालिक के साथ भूमि हस्तांतरण एवं समझौते को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार ने एलजी और एलजी के बीच विवाद अदालत तक पहुंच गया। एलजी ने उस भूमि पर लक्जरी रिजॉर्ट भी स्थापित कर दिए थे और ऐसे में भूमि के अनधिकृत उपयोग और राज्य के भूमि हदबंदी के नियमों के उल्लंघन को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद गहराता गया।

भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएसए शर्मा के अनुसार, पिछले साल उसकी विवादित विस्तार योजना को मंजूरी दी गई थी। एलजी पॉलिमर्स की अपनी ही मूल कंपनी के के साथ कानूनी लड़ाई में बिल्कुल अनोखी घटना है। एलजी ट्रेडमार्क के इस्तेमाल के लिए अपनी मूल कोरियाई कंपनी एलजी केमिकल के साथ कानूनी लड़ाई में सभी प्रमुख कंपनियां- एलजी इंटरनैशनल कॉरपोरेशन और एलजी कॉरपोरेशन से लेकर एलजी केमिकल इंडिया तक शामिल थी।

 

 

 

source : Business Standard

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