महासमुंद (IP News). संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि कोरोना संकट काल में किसानों व पशुपालकों के लिए गोधन न्याय योजना वरदान साबित होगी। इस योजना से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सकेगी बल्कि इस बहुआयामी योजना से बहुत सारे लक्ष्य हासिल होंगे।
संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने बताया कि प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत सरकार दो रूपए किलो की दर से गोबर खरीदी कर रही है। राज्य सरकार पशुपालकों से गोबर खरीद कर उससे जैविक खाद तैयार करेगी। गोधन न्याय योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि तो होगी ही, पशुधन की खुली चराई पर भी रोक लगेगी। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलने से रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी। खरीफ और रबी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होने से द्विफसलीय खेती क्षेत्र में होगी।
भूमि की उर्वरता में सुधार होगा तथा विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, इससे पोषण का स्तर और सुधरेगा। संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने बताया कि महिला स्व सहायता समूह द्वारा वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ अन्य आय मूलक गतिविधियां संचालित की जाएगी। किसानों और पशुपालकों से गोठान समितियों द्वारा दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिससे महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। तैयार वर्मी कंपोस्ट को 8 रुपए प्रति किलो की दर से सरकार द्वारा खरीदा जाएगा।
आर्थिक रूप से सक्षम होंगे पशुपालक
संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश में खुले में चराई की परंपरा रही है। इससे पशुओं के साथ-साथ किसानों की फसलों का भी नुकसान होता है। शहरों में आवारा घूमने वाले मवेशियों से सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिससे जान-माल दोनांे का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि गाय पालक दूध निकालने के बाद उन्हें खुले में छोड़ देते हैं। यह स्थिति इस योजना के लागू होने के बाद से पूरी तरह बदल जाएगी। पशु पालक अपने पशुओं के चारे-पानी का प्रबंध करने के साथ-साथ उन्हें बांधकर रखेंगे, ताकि उन्हें गोबर मिल सके, जिसे वह बेचकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सके।