नई दिल्ली। सरकार ने शनिवार को तीन लाख करोड़ रुपये की एमएसएमई ऋण गारंटी योजना के दायरे को बढ़ाते हुए अब 50 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाली इकाइयों को इसका पात्र बना दिया है। अब तक अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाली इकाइयों को ही नए कर्ज पर सरकारी गारंटी देने की योजना थी। साथ ही योजना के दायरे में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए चिकित्सकों, वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे पेशेवरों को दिए गए व्यक्तिगत ऋणों को शामिल किया है। आपातकालीन ऋण गारंटी योजना में (ईसीएलजीएस) में बदलाव श्रमिक संगठनों की मांगों और जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई एमएसएमई की नई परिके आधार पर किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन बदलावों के बारे में मीडिया को बताया कि ईसीएलजीएस योजना में अब व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दिए गए व्यक्तिगत ऋण भी शामिल होंगे, जो इस योजना की पात्रता मानदंड के अधीन हैं।
वित्तीय सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने कहा, ‘‘हमने योजना के तहत व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए चिकित्सकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि को दिए गए व्यक्तिगत ऋण को भी कवर करने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा कि कंपनियों के संबंध में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि व्यवसाय चलाने वाले इन पेशेवरों के ऋण स्वीकृत किए जा सकें। उन्होंने बताया कि योजना का लाभ अधिक से अधिक कंपनियां ले सकें, इसके लिए इस योजना के तहत पात्रता के लिए 29 फरवरी को बकाया ऋण की ऊपरी सीमा को 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया है।
पांडा ने बताया कि इस योजना के तहत गारंटीकृत आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) की अधिकतम राशि भी मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह योजना सरकार द्वारा कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एक हिस्सा है। यह योजना अब 250 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली कंपनियों लागू होगा, जबकि अभी तक यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये था। पांडा ने कहा कि इस योजना के तहत छोटी कंपनियों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया जा चुका है, इसलिए अब बड़ी कंपनियों को भी शामिल करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि इस योजना की कुल सीमा तीन लाख करोड़ रुपये है और योजना की वैधता अक्टूबर 2020 तक है। उन्होंने बताया कि बैंकों ने किसानों को खरीफ बुवाई और संबंधित गतिविधियों में मदद के लिए लगभग 1.1 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारकों के लगभग 90,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।