जिस हाथरस गैंगरेप मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था उसमें सीबीआई ने भी माना है कि हाथरस में पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ था और उसकी हत्या की गई थी। इस मामले में चारों आरोपियों को सीबीआई ने भी आरोपी बनाते हुए आरोप पत्र दाखिल किया है। उनके खिलाफ सीबीआई ने एससी-एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने हाथरस में अदालत में चार्जशीट पेश की। यह उन लोगों के लिए तगड़ा झटका है जो इस पूरे मामले में पीड़िता के परिवार को ही दोषी ठहरा रहे थे और चारों आरोपियों का बचाव करते दिखे थे। इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार की भी खूब किरकिरी हुई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तो योगी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तक को तलब किया था
हाथरस के मामले ने इसलिए काफी तूल पकड़ा क्योंकि युवती के साथ तो ज्यादती हुई ही, उसकी हत्या के बाद परिवार को भी प्रताड़ित किया गया।
करीब तीन महीने पहले जब 14 सितंबर को हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप की वारदात हुई तो शुरुआत में मुक़दमा दर्ज नहीं किया गया। पीड़िता के इलाज के उचित इंतजाम नहीं हुए। जब उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल लाया गया तब तक देर हो गई और पीड़िता की मौत हो गई। चार सवर्णों पर गैंगरेप का आरोप लगा। पुलिस ने परिवार वालों की गैर मौजूदगी में 30 सितंबर को रातोरात उसका अंतिम संस्कार कर दिया। आरोप लगा कि परिवार वालों को चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि उसपर दबाव डाला गया।
इस मामले में तब देश भर में आक्रोश फैल गया था जब परिवार की मंजूरी के बिना कथित रूप से पीड़िता का देर रात अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालाँकि, अधिकारियों ने दावा था कि अंतिम संस्कार परिवार की इच्छा के अनुसार किया गया था। इसके बाद भी पुलिस जिस तरह से पीड़िता के परिवारों के प्रति पेश आती रही उससे गुस्सा और बढ़ता गया। विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया। जब राजनेता पीड़ित परिवार से मिलने जाने की कोशिश में थे तो उन्हें ऐसा करने से रोका गया। मीडिया को भी गाँव में जाने से रोक दिया गया। चारों तरफ पुलिस का पहरा लगा दिया गया।
आरोपियों के पक्ष में सर्वर्णों की बैठकें हुईं। इसके बाद तो और भी विवाद बढ़ गया। श्अमर उजालाश् के अनुसार सवर्णों की पंचायत से अलग बीजेपी के पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवाल ने भी पीड़िता की मौत को ऑनर किलिंग बता दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया था कि लड़की की हत्या उसके भाई व माँ ने मिलकर की है। उन्होंने कहा था कि चारों युवक निर्दोष हैं और यह पूरा मुकदमा झूठा है।
सोशल मीडिया पर भी दक्षिणपंथियों ने अभियान शुरू किया था कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ है और उसकी हत्या के लिए पीड़िता के परिवार पर ही आरोप लगाया जाने लगा था। यह वह वक़्त था जब हाथरस के उस गाँव और आसपास के दबंग लोगों ने अभियान शुरू किया था।
इस पूरे मामले में प्रशासन का रवैया भी पीड़ितों के ख़िलाफ जान पड़ा था। प्रशासन के लचर रवैये की देश भर में आलोचना की गई। इस पर तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी योगी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पुलिस के आला अफसरों तक को तलब किया था।