कोरबा (आईपी न्यूज़)। कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास और नवाचार लगातार किये जा रहे हैं। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल की पहल पर जिले में एक और नवाचार फीवर क्लीनिक शुरू किया गया है। जिले के सरकारी अस्पतालों में कोरोना संदिग्ध और सामान्य मरीजों का अलग-अलग इलाज करके संक्रमण को फैलने से रोकना इस नवाचार का प्रमुख उद्देश्य है। कोरोना का हॅाटस्पाॅट बन चुके कोरबा के कटघोरा मेें स्थितियां अब नियंत्रण में हैं और पिछले नौ दिनों से कोई भी नया संक्रमित इलाके में नहीं मिला है। जिले की सभी सरकारी अस्पतालों और कोरबा मुख्यालय में स्थित इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में सर्दी, खांसी, बुखार के साथ सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए इलाज की अलग व्यवस्था फीवर क्लीनिक संचालित की जा रही है।
कलेक्टर किरण कौशल ने इस विषय में बताया कि अस्पतालों की सामान्य ओपीडी में इनफ्लूएंजा या फ्लू जैसी बीमारियों के लक्षण सर्दी, खांसी, बुखार वाले मरीजों का इलाज अन्य रोगों से पीड़ित मरीजो के साथ ही किये जा रहे थे। कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रारंभिक लक्षण भी इसी तरह के हैं। इसलिए ऐसे लक्षणों वाले मरीजों को अन्य रोगों के मरीजों से अलग कर जांच एवं इलाज की व्यवस्था जिला अस्पताल सहित सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में शुरू की गई है। कलेक्टर ने बताया कि इससे कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान में आसानी होगी और ऐसे संदिग्ध मरीजों को पहचान कर तत्काल उनका कोरोना टेस्ट कराया जायेगा। टेस्ट में पाजिटिव आने पर समय रहते ऐसे संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। इसके साथ ही ऐसे मरीजों के संपर्क में आने से दूसरे मरीजों को भी संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा।
कलेक्टर ने बताया कि जिला अस्पताल में बने नये भवन में फीवर क्लीनिक शुरू किया गया है। यहां डाक्टरों की ड्यूटी निर्धारित कर सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों का अलग से उपचार करने के साथ-साथ कोरोना संक्रमण का संदेह होने पर मरीजों का कोरोना टेस्ट कराने की व्यवस्था भी की गई है। फीवर क्लीनिक तक आने-जाने और मरीजों के बैठने की भी अलग व्यवस्था की गई है। डाक्टरों को भी क्लीनिक में सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखते हुए सर्दी, खांसी, बुखार सांस में तकलीफ वाले मरीजों की जांच और इलाज के निर्देश दिए गये हैं।

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